Edit-Rashmi Sharma
जयपुर 3 जून 2020 – राजस्थान सरकार ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए ने क्वारंटाइन रणनीति पर जोर देते हुए कई क्वारंटाइन केंद्र स्थापित किए हैं । केंद्रों की क्षमता बढ़ाने की प्रक्रिया पर भी जोरो शोरों से काम जारी है, साथ में, राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूती देने के लिए धीरे-धीरे लॉकडाउन हटाने की ओर बढ़ रहे है।
मई महीने के अंत तक, राजस्थान ने 18 लाख से अधिक लोगों को अलग कर दिया था। जिनमें अधिकतम 16 लाख अन्य राज्यों और विदेशों से आए प्रवासी थे। बाकी वह लोग है जो किसी कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आ गए थे या उनको भी कोरोना होने का संदेह था। राज्य में इन दिनों 2-66 लाख से अधिक लोग क्वारंटाइन किए हुए हैं। जिनमें से 2-5 लाख लोग होम क्वारंटाइन हैं और लगभग 12 हजार लोगों को संस्थागत केंद्रों में क्वारंटाइन कर रखा है। हालांकि राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में 5836 केंद्रों में 185602 बेड हैं और 524 शहरी क्वारंटाइन केंद्रों में 40394 बेड की संस्थागत क्षमता है।
कोरोना की रोकथाम के लिए राजस्थान सरकार द्वारा लिए गए कई उपायों में क्वारंटाइन रणनीति भी सफल साबित हुई है । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देशों के अनुसार राज्य सरकार ने संस्थागत और घरेलू क्वारंटाइन के लिए एक विस्तृत दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। वहीं इन क्वारंटाइन केंद्रों के व्यापक बुनियादी ढांचे को सहारा देने के लिए थोड़े समय में ही एक मजबूत आईटी और स्पोर्ट सिस्टम को भी स्थापित कर दिया गया है।
लोक निर्माण विभाग की एसीएस वीनू गुप्ता ने बताया कि ‘‘सरकार का मानना है कि लोग अभूतपूर्व परिस्थितियों के कारण चिंतित हो सकते हैं और क्वारंटाइन होने से डर रहे होंगे इसलिए सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं ताकि क्वारंटाइन किए लोगों अधिकतम आराम मिल पाए। भोजन और आश्रय के साथ ही इन लोगों की प्रेरित करने के लिए काउंसलिंग और मनोरंजन के उपाय भी किए गए हैं।
पिछले कुछ महीनों में इन क्वारंटाइन केंद्रों ने उन हजारों लोगों को संतोषजनक आवास प्रदान किया है जिनको कोरोना होने के संदेह के चलते यहां रखा गया था और उनको फिर से आम जनता के साथ जोड़ने में मदद की है। साथ ही इन केंद्रों में उनकी नियमित रूप से जांच की गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें जरूरत पड़ने पर चिकित्सकीय देखभाल प्राप्त हो सके। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां क्वारंटाइन हुए नागरिकों ने इन केंद्रों में पेंटिंग करके अपना आभार व्यक्त किया है और कुछ ने सरकारी राहत कोष के लिए मौद्रिक दान भी दिया है।
चूंकि लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और खुद को क्वारंटाइन करने के बारे में जागरूकता काफी बढ़ गई हैA इसलिए होम क्वारंटाइन होने की तरफ एक बदलाव हुआ है और लोग खुद को क्वारंटाइन कर रहे हैं। यह प्रक्रिया हालांकि घर के वातावरण में व्यक्ति की मदद करती है। वहीं सरकार भी सामाजिक जिम्मेदारी तय करने से लेकर जीपीएस द्वारा निगरानी करने तक के अन्य उपायों के माध्यम से सतर्कता बनाए रखती है।
दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वालों को परामर्श दिया जाता है या उनको जबरन क्वारंटाइन किया जा रहा है या फिर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाती है। क्वारंटाइन का उल्लंघन करने के मामले में 11 हजार से अधिक लोगों पर कार्रवाई की गई हैA जबकि 6 हजार से अधिक लोगों को होम क्वारंटाइन से संस्थागत क्वारंटाइन में स्थानांतरित कर दिया गया है।
सौभाग्य से लॉकडाउन को लागू करने में राजस्थान सरकार द्वारा अपनाए गए सख्त उपायों और मजबूत स्वास्थ्य सुविधाओं ने राज्य में कोरोना के प्रसार को सीमित कर दिया है। वहीं क्वारंटाइन करने की क्षमता भी आवश्यकताओं से ज्यादा ही बनाकर रखी गई है। इन क्वारंटाइन केंद्रों ने हजारों प्रवासी श्रमिक परिवारों को आश्रय देने के रूप में भी काम किया है। जो लॉकडाउन के चलते फंस गए थे। वहीं अब यह केंद्र गांवों में लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की भी मदद कर रहे हैं।
यह क्षमता अभी भविष्य की जरूरतों के हिसाब से फिलहाल बनाकर रखी जाएगी ताकि जरूरत पड़ने पर उसका उपयोग किया जा सकें। इस बीच] घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा को फिर से शुरू करने के कारण खुद भुगतान करके क्वारंटाइन करने की मांग में भी वृद्धि हुई है। सरकार ने राजस्थान प्रवासियों को सुरक्षित वापसी प्रदान करने की दिशा में भी पर्याप्त व्यवस्था की है।