जीजेईपीसी ने वीडीओ कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्योग जगत की चिंताओ को वित्त मंत्री के समक्ष रखा

Edit-Rashmi Sharma

जयपुर 09 जुलाई 2020 – हाल ही (6 जुलाई 2020) में रत्न तथा आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष श्री कॉलिन शाह, उपाध्यक्ष विपुल शाह व कार्यकारी निदेशक सब्यासाची राय ने वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से माननीया वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के समक्ष उद्योग जगत से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया।

इस प्रेजेंटशन में रत्न तथा आभूषण उद्यग जगत के लिए ई- कॉर्मस पॉलिसी, रत्न तथा आभूषण उद्योग जगत जगत के लिए अनिवार्य रूप से MyKYCBank प्लेटफॉर्म, भारत में विशेष अधिसूचित क्षेत्र (Special Notified Zones) के लिए खनिकों द्वारा रफ डायमंड की बिक्री, बी2बी अंतर्राष्ट्रीय हीरे की नीलामी के लिए ऑनलाइन इक्वलाईजेसन लेवी पर स्पष्टीकरण का अनुरोध, पॉलिशड डायमंड पर आय़ात शुल्क में कमी पर निवेदन तथा गोल्ड मोनेटाइज़ेशन स्कीम में संशोधन सहित जैसे कई मुद्दों को प्रस्तुत किया गया।

श्री कॉलिन शाह, अध्यक्ष, जीजेईपीसी ने कहा ’हमें कुछ ऐसे कदम उठाने होंगे कि आनेवाले समय में हम उद्योग जगत में “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” को बढ़ावा दें सकें और उसके साथ ही भारतीय रत्न तथा आभूषण उद्योग जगत को “आत्मनिर्भर” बना सकें। मैं माननीया वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने अपने व्यस्त दिनचर्या में से समय निकालकर उद्योग जगत से जुड़ी समस्याओं को सुना। वित्तमंत्री महोदया ने हमें आश्वासन दिया है कि वह मुद्दों पर विचार करेंगी और आवधिक समीक्षाओं के माध्यम से चिंताओं का समाधान करेंगी ।

व्यापार करने में आसानी, ई – कॉर्मस, गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में संशोधन, रत्न तथा आभूषण सेक्टर को प्राथमिकता सूची में जगह, रत्न तथा आभूषण से जुड़ी संस्थाओं के लिए MyKYCBank प्लेटफॉर्म को अनिवार्य बनाना, रत्न तथा आभूषण उद्योग जगत के लिए बैंक क्रेडिट एक्सपोजर को बढ़ाना, आयात शुल्क को कम करना, SEZ का विकास जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों को बैठक मे जीजेईपीसी द्वारा रखा गया।

परिषद ने ऐसे मुददों को वित्त मंत्री के सामने प्रस्तुत किए हैं जो उद्योग जगत को और अधिक सुविधा प्रदान करेंगे, निर्यात वृद्धि के मामले में उद्योग जगत की क्षमता को औऱ अधिक बढ़ाएंगे तथा रोजगार के अतिरिक्त अवसर पैदा करेंगे।

अध्यक्ष कॉलिन शाह ने बताया कि “कोविड 19 के कारण पूरे विश्व में उपभोक्ता व्यवहार में परिवर्तन आया है। जहाँ एक तरफ ई- कॉर्मस के व्यवसाय में तेज गति देखने को मिली है, रत्न तथा आभूषण क्षेत्र के लिए भी सहायक ई- कॉर्मस पॉलिसी की शुरूआत कर इस क्षेत्र में भी ई- कॉर्मस व्यवसाय को बढ़ाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, परिषद ने 800 अमेरिकी डॉलर से नीचे मूल्य के रत्नों और आभूषण के लिए एक समर्पित प्रणाली, फास्ट ट्रैक सीमा शुल्क मंजूरी की आवश्यकता पर भी जोर दिया है।

हमने भारत में विशेष अधिसूचित क्षेत्रों (SNZ) में खनिकों द्वारा रफ डायमंड की प्रत्यक्ष बिक्री का भी प्रस्ताव दिया है। वर्तमान में, रफ डायमंड देश में देखने के लिए खनिकों द्वारा SNZ को भेजे जाते हैं, जिसके बाद डायमंड SNZ द्वारा दुबई या एंटवर्प में वापस भेज दिए जाते हैं। बिक्री की अनुमति नहीं है, और यदि वे ऐसा करते हैं, तो यह आईटी अधिनियम के अनुसार स्थायी संस्थाओं के अंतर्गत आता है, और बिक्री पर आयकर देय होता है। फिर वही सामान दुबई या एंटवर्प में कार्यालयों के माध्यम से भारत वापस भेज दिया जाता है, जिससे आयातक के लिए लागत बढ़ जाती है। एंटवर्प एवं दुबई के माध्यम से लगभग 60% रफ माल मंगाया जाता है।

परिषद ने वित्त मंत्री से अनुरोध किया है कि यदि भारत में ग्राहक द्वारा उनके ऑर्डरों की पुष्टि करने पर SNZ में बिल बने तो खनिक एक “टर्नओवर टैक्स” का भुगतान कर सकते हैं जो 0.16% (बेल्जियम में प्रचलित दर) से अधिक नहीं हो।”

परिषद ने सरकार से अनुरोध किया है कि रत्न तथा आभूषण सेक्टर को प्राथमिकता सूची में जगह दी जाए ताकि उद्योग जगत को ऑपरेशनल लाभ प्राप्त हो सके।

जीजेईपीसी के उपाध्यक्ष विपुल शाह ने व्यापार के लिए बैंक वित्त की उपलब्धता पर बात करते हुए कहा, “ भारत में कुल बैंक ऋण तकरीबन 98,91,788 करोड़ का है जिसमें उद्योग के पास लगभग 66,580 करोड़ रुपये का बैंक ऋण है, जो कुल बैंक ऋण का 0.68% है, जो इस क्षेत्र द्वारा किए गए सामाजिक-आर्थिक योगदान की तुलना में कम है। हमने निजी बैंकों द्वारा विस्तारित सीमित वित्तीय सहायता पर भी अपनी चिंताओं को उठाया है। कई बैंकिंग / कंसोर्टियम के मामले में, यदि निजी बैंक निधियों को फ्रीज करने का निर्णय लेते हैं, तो अन्य पीएसबी भी जोखिम में आ जाएगें। जीजेईपीसी ने प्रस्ताव दिया है कि बैंकों को सभी आरबीआई सकुर्लर और अधिसूचनाओं का पालन करना चाहिए, और बैंकों को क्रेडिट सीमा वापस नहीं लेने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए। ”

श्री विपुल शाह ने आगे कहा कि “जीजेईपीसी ने पॉलिश हीरे पर आयात शुल्क को 7.5% से घटाकर 2.5% करने का भी आग्रह किया है, ताकि भारत को एक पॉलिश डायमंड हब के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद मिल सके।”

भारत दुनिया के 900 टन तक के सोने के बुलियन का लगभग एक तिहाई आयात करता है। जबकि आयातित सोने का एक तिहाई गैर-उत्पादक निवेश के लिए शेष दो तिहाई खपत के लिए है। इससे व्यापार घाटा बढ़ता है और रुपया डेप्रिसिएशन (मूल्यह्रास) बढ़ता है।

गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम को मजबूत करने के लिए, जीजेईपीसी ने जीएमएस 2020 पर भी अपने विचार साझा किए हैं, जिसमें शामिल हैं: खुदरा व्यापारी केवाईसी के साथ उपभोक्ता से आभूषण प्राप्त कर सकते हैं और 995 के संदर्भ में शुद्ध सोने के वजन की पुष्टि कर सकते हैं; रिटेलर को प्रमाण पत्र के साथ 100/500/1000 ग्राम मूल्यवर्ग में RBI अधिकृत डीलर प्रमाणित सोना / डिजिटल देना चाहिए, RBI को दिए गए समय के आधार पर चक्रवृद्धि ब्याज दर तय कर सकता है, उदाहरण के लिए: 3 साल 1.5%, 5 साल 2%, 8 साल 2.5% आदि; जमा अवधि की परिपक्वता पर जमा राशि के साथ सोने के संदर्भ में जो भी चक्रवृद्धि ब्याज है उसे जोड़ा जाना चाहिए; आरबीआई विदेशी आपूर्तिकर्ता से गोल्ड लोन पाने वाले बैंकों के स्थान पर ग्राहकों द्वारा बैंकों को जमा किए गए सोने को दे सकता है और आरबीआई इसके अनुसार ब्याज वसूल सकता है।

आर्थिक रोजगार के क्षेत्र में एसईजेड के विकास के सुझाव भी सामने रखे गए। पिछले 5 वर्षों के दौरान SEZ के निर्यात में (-) 8.07% की गिरावट देखी गई है, 2014-15 में $ 5.8 बिलियन की बिक्री 2018-19 में $ 3.8 बिलियन तक गिरावट देखी गयी है। सिजनल मांग के कारण, मुख्य रूप से 6 महीनों में ही अधिकांश निर्यात किया जाता है, जिसके कारण वहाँ निर्मित क्षमता अधिक है। औऱ यह लीन पीरियड के दरम्यान न्यून उपयोगिता की श्रेणी में चला जाता है। इसे कम करने के लिए, एसईजेड इकाइयों को कुछ सुरक्षा उपायों का पालन करके विशेष रूप से कोविड के बाद श्रम शुल्क पर जीएसटी के भुगतान के द्वारा डीटीए इकाइयों के लिए काम करने की अनुमति दी जा सकती है।

रत्न तथा आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद ने माननीय वित्तमंत्री के समक्ष इस संकट काल को दृष्टिगत रखते हुए “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” को बढ़ावा देने के लिए भी निवेदन किया है। जिससे सभी वितरण बाहर से होंगे तथा अधिक वॉल्यूम के कारण शुल्क संग्रह में वृद्धि होगी।

भारतीय रत्न और आभूषण उद्योग दुनिया के प्रमुख निर्यातक में से एक है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान देता है, निर्यात में 13% और लगभग 50 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर प्रदान करता है।

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