Edit-Rashmi Sharma
जयपुर 24 अगस्त 2020 – प्राचीन काल से ही घऱेलु उपचार भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न भाग रहे हैं। वो दिन गए जब लोग हर बीमारी के लिए घरेलु उपचारों का उपयोग करते थे। और आज भी चिकित्सा विज्ञान में इतनी प्रगति के बावजूद, हम उपचार के पहले चरण के रूप में उपलब्ध घरेलु उपचारों का सहारा लेते हैं। हालांकि, घरेलु उपचारों का सीमित इस्तेमाल प्रभावी है, जबकि कुछ मामलों में इनका अत्यधिक इस्तेमाल हानिकारक हो सकता है, क्योंकि लंबे समय तक हर किसी के लिए हर चीज अच्छी नहीं हो सकती है।
विशेषज्ञ कहते हैं: प्राकृतिक जड़ी-बुटियों और खनिजों से बने आयुर्वेदिक रसायन काफी शोध के बाद तैयार किए जाते हैं, जो थोड़ी मात्रा में घरेलु उपचारों के साथ अद्भुत कार्य करते हैं।
कोविड-19 के दौरान, चूंकि लोग ज्यादातर घरों में रह रहे हैं, घरेलु उपचारों का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है। इसके अलावा, कोविड-19 से मुकाबला करने में प्रतिरक्षा की भूमिका को देखते हुए, लोग आयुर्वेद के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर जड़ी-बूटी आधारित घरेलु उपचार का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए, घरेलु उपचारों के सही इस्तेमाल को सीखना और इनके अत्यधिक इस्तेमाल से बचना महत्वपूर्ण है, और इसके लिए किसी व्यक्ति की प्रकृति या शरीर के प्रकार को जानना आवश्यक है।
महर्षि आयुर्वेद के अध्यक्ष, श्री आनंद श्रीवास्तव ने घरेलु उपचारों के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा, “सामान्य बीमारियों में कुछ हद तक इन ‘घरेलु उपचारों’ का इस्तेमाल अच्छा है, लेकिन आप सभी विकारों को इनसे ठीक नहीं कर सकते। रसोई में तैयार किए गए घरेलु उपचारों में पर्याप्त मात्रा में आवश्यक तत्व नहीं होते हैं, कभी-कभी इनमें सामान्य से अधिक या कम होते हैं। इसलिए, घरेलु उपचार का अत्यधिक इस्तेमाल हमेशा प्रभावशाली नहीं होता है। साथ ही, सीमित मात्रा में घरेलु उपचारों का अच्छी तरह से शोघ कर प्रकृतिक जड़ी-बूटियों और खनिजों से तैयार किए गए आयुर्वेदिक रसायनों के साथ मिश्रण अद्भुत परिणाम दे सकता है। रसायनों को अधिक प्रभावकारक माना जाता है, क्योंकि इनमें सही संतुलन स्थापित करने के लिए शारीरिक प्रक्रियाओं के कुछ आयामों को बढ़ाने या घटाने की विशेषताएं होती हैं।”
घरेलु उपचार और रसायनों का आयुर्वेदिक परिप्रेक्ष्य
डिजिटल संसार में, जहां लोग केवल एक क्लिक द्वारा हर जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करते हैं, जो उनकी समस्याओं को ठीक करने में सहायता करता है, लेकिन यह हर जगह काम नहीं कर सकता, जैसे बीमारियों को ठीक करने में। आजकल, घरेलु उपचारों का चलन तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि लोग ‘प्राकृतिक चिकित्सा’ पसंद करते हैं। लेकिन, अज्ञानता के कारण, अक्सर घरेलु उपचारों का अत्यधिक इस्तेमाल करने के कारण बहुत सी समस्याओं में पड़ जाते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने की विशेषताओं वाले औषधीय पौधों और मसालों की विभिन्न किस्मों के संयोजन के साथ जब विशिष्ट आहार और जीवनशैली में बदलाव को अपनाया जाता है तो शरीर, मन और आत्मा में पुनः संतुलन स्थापित किया जा सकता है। कुछ हद तक, घरेलु उपचारों का इस्तेमाल अच्छी तरह काम करता है, लेकिन अत्यधिक इस्तेमाल नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि, अगर घरेलु उपचारों को जो आजकल प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं, को कुछ अच्छी तरह से तैयार किए गए रसायनों के साथ मिलाया जाता है तो यह अद्भुत कार्य कर सकता है। चूंकि, सभी घरेलु उपचार वैज्ञानिक रूप से मान्य नहीं हैं, लेकिन रसायन अच्छी तरह से शोध करके ही तैयार किए जाते हैं।
एक अच्छी तरह से तैयार किए गए रसायन का प्रतिरक्षा प्रणाली पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यह किसी भी बीमारी को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह स्पष्ट है कि यदि किसी व्यक्ति के रक्षा तंत्र को किसी प्रभावी आयुर्वेदिक रसायन के साथ बढ़ाया जाता है, तो वह संक्रमण से तेजी से और बहुत कम नुकसान के साथ मुकाबला कर पाएगा। महर्षि अमृत कलश स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए सबसे प्रसिद्ध रसायनों में से एक है। यह एक अच्छी तरह से शोधित आयुर्वेदिक स्वामित्व/ट्रेडमार्क वाली रसायन है, जो 53 समय-परीक्षणित प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और खनिजों की अच्छाई और सहक्रियात्मक संयोजन से समृद्ध है। यह प्रतिरक्षा को बढ़ाती है, समय से पहले बूढ़ा होने की प्रक्रिया को धीमा करती है, प्राणशक्ति में सुधार करती है, तनाव कम करती है, शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालती है और आंतरिक संतुलन को पुनः स्थापित कर मानसिक सतर्कता को बेहतर बनाती है।
महर्षि आयुर्वेद हॉस्पिटल के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ. सौरभ शर्मा ने कहा,“घरेलु उपचार, असंख्य समस्याओं को ठीक करने का एक प्रभावी और सस्ता तरीका है। हालांकि, उनमें से अधिकतर का इस्तेमाल करने का सुझाव उन दोस्तों की ओर से दिया जाता है, जिन्होंने इन्हें आजमाया और बेहतर परिणाम प्राप्त किए या परिवार के सदस्यों द्वारा पुराने समय से आजमाए एक कारगर नुस्खे के रूप में सुझाए जाते हैं। जबकि, घरेलु नुस्खे आपके या आपके किसी परिचित के लिए काम कर सकते हैं, लेकिन स्व-उपचार के लिए भी कुछ परीक्षण की आवश्यकता हो सकती है। और यह सभी के मामले में समान रूप से कार्य नहीं करता है, क्योंकि प्रत्येक शरीर की संरचना अलग-अलग और अद्वीतीय है। कभी-कभी घरेलु उपचारों के अत्यधिक इस्तेमाल से फायदा होने से अधिक नुकसान हो जाता है। उपचार के लिए संतुलन बनाए रखने के लिए किसी योग्य वैद्य के मार्गदर्शन में रसायनों और घरेलु उपचारों का उचित मात्रा में संयोजन जरूरी है।”
घरेलु उपचार का अत्यधिक इस्तेमाल हमेशा सुरक्षित और प्रभावी नहीं हो सकता है, यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के लिए अलग होता है। यह किसी एक के लिए प्रभावी है, लेकिन दूसरे के लिए भी हो जरूरी नहीं है। क्योंकि, एक ही अध्ययन या नैदानिक परीक्षण में, हमेशा अलग-अलग समुदायों या निकायों को सम्मिलित नहीं किया जाता है।