Edit-Rashmi Sharma
जयपुर 10 सितम्बर, 2020 – राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय और कृषि निर्यात संवर्धन नीति 2019 के कार्यान्वयन की समीक्षा करने के लिए राज्य के सभी 33 जिलों के किसानों के साथ वर्चुअल तरीके से बातचीत की। कोविड-19 से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद यह नीति कृषि उद्योगों और इन्फ्रास्ट्रकचर सैक्टर में नए निवेश को आकर्षित करने में सफल रही है। बैठक के दौरान बताया गया कि पांच दर्जन से अधिक आवेदन अनलॉक अवधि में प्राप्त हुए हैं और इस योजना के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ संख्या में और वृद्धि हो सकती है।
नई नीति यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित है कि प्रोसेसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने से कृषि उपज का महत्व बढ़ेगा और इस दौरान अपव्यय भी कम होगा और इस प्रकार किसानों के लिए आय बढ़ाने और राज्य के लिए नकदी प्रवाह बढ़ाने में मदद मिलेगी। बुधवार को समीक्षा बैठक के माध्यम से मुख्यमंत्री ने नई नीति को लेकर किसानों से उनके अनुभव के बारे में पूछताछ की और उन्हें नीतिगत लाभों के बारे में दूसरों को जागरूक करने के लिए कहा।
किसान से उद्यमी बने अनेक लोगों ने बातचीत के दौरान सूचित किया कि वे पहले से ही इस योजना के तहत एक इकाई स्थापित कर चुके हैं और अब उन्होंने दूसरी योजना के तहत मंजूरी के लिए आवेदन किया है। मुख्यमंत्री ने इस दौरान प्राप्त विभिन्न सुझावों पर ध्यान दिया। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि जोधपुर की एक फर्म ने स्वदेशी रूप से ग्वार से प्रोटीन निकालने पर शोध किया है। मुख्यमंत्री ने इस टैक्नोलाॅजी को पेटेंट कराने के लिए भी कहा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि नई नीति किसान आय बढ़ाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है और चूंकि प्रगतिशील किसान पहले से ही इसका लाभ उठा रहे हैं, ऐसे में उन्हें दूसरों को भी इसके बारे में शिक्षित करने के लिए आगे आना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह एक शुरुआत है और इस नीति के बारे मंे और अधिक चर्चा की जा सकती है। जिला प्रशासन को जागरूकता फैलाने में सहायता करनी चाहिए और ग्राम पंचायत और तहसील स्तर पर इस नीति को लेकर चर्चा करनी चाहिए।‘‘
कोविड-19 के कारण लागू प्रतिबंधों के मद्देनजर बुधवार को बैठक आॅनलाइन मोड में आयोजित की गई थी, जिसमें 400 से अधिक किसान अपने-अपने जिलों के ‘जन संपर्क केंद्र‘ से जुड़े थे। मुख्यमंत्री ने आॅनलाइन मोड में आयोजित मीटिंग का हिस्सा होने के लिए किसानों को धन्यवाद दिया और उन्होंने किसानों से सतर्क रहने और खुद को और दूसरों को भी सुरक्षित रखने के लिए कहा। उन्होंने विश्वास दिलाया कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार द्वारा बेहतरीन प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मरीजों की जांच और उनके ठीक होने की दर के मामले में राजस्थान अन्य राज्यों से आगे है। साथ ही उन्होंने कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए किए जा रहे सरकारी प्रयासों का समर्थन करने का आग्रह किया और बुजुर्गों, बच्चांे और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगांे का विशेष ध्यान रखने की अपील भी लोगों से की।
बैठक में राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने यह कहते हुए इस नीति की सराहना की कि कोविड-19 से उपजे संकट के बावजूद इसकी बदौलत किसान परिवारों के लिए अपने और दूसरों के लिए रोजगार पैदा करना संभव हुआ है। उन्होंने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि योजना का लाभ सभी लाभार्थियों तक पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे किसानों को न केवल नीतिगत लाभों के बारे में शिक्षित करें, बल्कि ऋण प्रक्रिया के बारे में भी उनका मार्गदर्शन करें।
चर्चा में शामिल होते हुए राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव श्री राजीव स्वरूप ने प्रगतिशील किसानों के सहयोग से जिला स्तर पर एक ‘मेंटर सिस्टम‘ विकसित करने का सुझाव दिया, जो अन्य किसानों को कृषि उपज के निर्यात से संबंधित जटिलताओं को समझने में मदद कर सके।
इससे पहले बैठक में प्रमुख सचिव कृषि श्री कुंजी लाल मीणा ने योजना के तहत प्रोत्साहन संबंधी विभिन्न प्रावधानों पर प्रकाश डाला और कहा कि यह योजना किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार और अन्य राज्य सरकारों द्वारा लागू की गई नीति से आगे है।
प्रदेश के सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना, गोपालन मंत्री प्रमोद भाया मंत्री गोपालन विभाग, कृषि राज्य मंत्री भजनलाल जाटव, सहकारिता राज्य मंत्री टीकाराम जूली, एसीएस फाइनेंस निरंजन आर्य, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका, मुख्यमंत्री के ज्वाइंट सेक्रेट्री राजन विशाल, नाबार्ड के चीफ जनरल मैनेजर, राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक और विभिन्न स्थानों से जुड़े विभिन्न वरिष्ठ अधिकारी भी इस बैठक में शामिल हुए।