Edit-Dinesh Bhardwaj
जयपुर 10 सितंबर 2020 ऑनलाइन लर्निंग क्लासेस- ‘बीजाक्षर’ के समापन पर, जवाहर कला केंद्र (जेकेके) के फेसबुक पेज पर दर्शकों को बुकबाइंडिंग की अनूठी कला सीखने का अवसर मिला। सेशन का संचालन जयपुर निवासी बुकबाइंडर राजेंद्र कुमार ने किया। यह सेशन बुकबाइंडिंग के अनुभवी और बिना अनुभव के लोगों के लिए डिज़ाइन किया गया था। कार्यक्रम का आयोजन कला एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा जेकेके और अरेबियन एवं पर्शियन रिसर्च संस्थान, टोंक के सहयोग से किया गया।
सेशन की शुरुआत बुकबाइंडिंग के इतिहास, उत्पत्ति, बुनियादी संरक्षण तकनीक, सामग्री, सॉफ्ट बाइंडिंग और हार्ड बाइंडिंग के बारे में परिचयात्मक प्रस्तुति देने के साथ हुई। इसके बाद क्रमबद्ध तरीके से बुकबाइंडिंग का प्रदर्शन किया गया। बुकबाइंडिंग के इतिहास के बारे में बताते हुए, उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में पांडुलिपियों को ‘जुज बाइंडिंग’ नामक विधि से बाऊंड किया जाता था। बाइंडिंग की इस विधि के बारे में बताते हुए, उन्होंने पहले पन्नों को एक साथ फोल्ड करके उनकी एक गड्डी बनाई जाती है। इसके बाद, पन्नों को एक साथ चिपकाने के लिए होममेड गोंद का उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि पुस्तक के लिए बाहरी कवर चमड़े, हस्तनिर्मित कागज, कपड़े आदि से बनाया जा सकता है।