जयपुर 21 सितम्बर 2020 । भारत के प्रसिद्ध गीतकार हसरत जयपुरी की शख्सियत पर ऑनलाइन परिचर्चा- ‘कुछ यादें… कुछ बातें’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, राजस्थान सरकार, जवाहर कला केंद्र (जेकेके) एवं राजस्थान उर्दू अकादमी, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस कार्यक्रम में वक्ता के रूप में उस्ताद अहमद हुसैन और उस्ताद मोहम्मद हुसैन ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन राजस्थान उर्दू अकादमी के सचिव मोअज्जम अली ने किया।
हसरत जयपुरी की शख्सियत को याद करते हुए, उस्ताद अहमद हुसैन ने कहा कि “बहुत से लोग अक्सर हमसे पूछते हैं कि हमें इतना सरल और विनम्र स्वभाव कहां मिला है और हम हमेशा उन्हें बताते हैं कि हमने यह सादगी हसरत जयपुरी से सिखी है।मुंबई में जब पहले दिन हम उनसे मिले थे, तब वे हमें अपनी कार में ले गए, अगले दिन ट्रेन से और उसके बाद बस से।” जब हमने उससे पूछा कि वे हमेशा कार से यात्रा क्यों नहीं करते, तो उन्होंने कहा कि यह दुनिया बहुत परिवर्तनशील है और भाग्य किसी भी दिन बदल सकता है। आज उनके पैर जमीन पर हैं, तो वे चलते रहेंगे, लेकिन अगर वह हवा में चलते हैं, तो वह कहीं नहीं पहुंच पाएंगे।
उस्ताद अहमद हुसैन ने आगे कहा कि मुंबई की यात्रा के बाद, हसरत जयपुरी ने मुशायरों में शेर पढ़ने से शुरूआत करते हुए धीरे-धीरे फिल्मों की तरफ रुख किया। वे एक अत्यंत प्रतिभाशाली गीतकार थे, जो किसी भी स्थिति के अनुसार गीत का मुखड़ा लिख सकते थे।
उस्ताद मोहम्मद हुसैन ने कहा, “मुझे याद है कि एक बार जब उनसे पूछा गया कि आप हसरत जयपुरी हैं तो मौलाना हसरत कौन हैं? उन्होंने जवाब दिया कि वह बहुत ही महान शख्सियत हैं और उनसे प्रेरित होकर मैंने उनका हमनाम बनने का फैसला किया और अपने नाम में जयपुरी जोड़ दिया। हसरत जयपुरी की एक अन्य घटना को याद करते हुए उन्होंने बताया कि जब उन्होंने उनसे कहा था कि पाकिस्तान के लोग जानते थे कि वे हिंदुस्तानी हैं, लेकिन हिंदुस्तान के लोग सोचते होंगे कि वो पाकिस्तानी हैं, इसलिए उन्हें एक ऐसी ग़ज़ल लिखनी चाहिए जिसके माध्यम से लोगों को पता चले कि वे कहां से हैं। इसके जवाब में हसरत जयपुरी ने गाने के प्रसिद्ध बोल लिखे – ‘मुसाफिर हैं हम तो चले जा रहे हैं’।