उरमूल मरुस्थली बुनकर विकास समिति के शिल्पकारों के लिए इंडिया एक्ज़िम बैंक ने आयोजित किया 30 दिवसीय उत्पाद और डिजाइन विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम

Editor-Ravi Mudgal

जयपुर 24 अक्टूबर 2020 : इंडिया एक्ज़िम बैंक ने राजस्थान के फलौदी स्थित उरमूल मरुस्थली बुनकर विकास समिति के 10 अनुभवी मास्टर शिल्पकारों के लिए हस्तनिर्मित कपड़ों में उत्पाद एवं डिजाइन विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए सहयोग दिया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 30 दिन तक चलेगा। उरमूल मरुस्थली बुनकर विकास समिति 1989 में स्थापित एक गैर-लाभकारी पंजीकृत संस्था है, जिसका मुख्यालय जोधपुर के फलौदी में है। यह संस्था थार मरुस्थल के बुनकरों के कल्याण के लिए प्रयासरत है। इससे जोधपुर के आसपास के 6 गांवों- फलौदी, रानीसर, भोजासर, भीयासर, कारवाड़, कृष्णानगर के 50-60 बुनकर जुड़े हैं।

हस्तशिल्प और हथकरघा हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं। ये हमें हमारी जड़ों और सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़े रखते हैं। हस्तशिल्प हमारे देश की समृद्ध और विविध परंपराओं को प्रदर्शित करते हैं। ये शिल्पकार और इस क्षेत्र से जुड़े लोग ही हैं, जिन्होंने पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपनी कलाओं को आगे बढ़ाते हुए इस समृद्ध परंपरा को जीवंत बनाए रखा है।

उरमूल मरुस्थली बुनकर विकास समिति के बुनकर एक अनूठी बुनाई तकनीक के लिए जाने जाते हैं। इसमें पिट-लूम्स को संभालने के लिए एक खास किस्म का कौशल आववश्यक होता है। इस उपकरण को चलाने में कुछ बुनकरों की ही मास्टरी होती है, जो अनुभव से आती है। ये बुनकर राजस्थान के विषम मौसम और कठिन परिस्थितियों के बावजूद बेहद गर्व के साथ अपना काम करते हैं, जो इनकी बुनाई में झलकता है। यह इन बुनकरों का कठोर परिश्रम और लगन ही है कि ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी इन्होंने अपनी कला को जीवित बनाए रखा है। इन बुनकरों को नई बुनाई तकनीकों की जानकारी न होने, बाजार की मांग के मुताबिक नए डिजाइन विकसित न कर पाने, नवीनतम ट्रेंड और डिजाइनों तथा नए रंग संयोजनों का पता न होने, जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। परंपरागत डिजाइनों को वर्तमान बाजार में बनाए रखने के लिए उनमें नवाचार करते हुए प्रयोग करते रहने की जरूरत होती है, ताकि खरीदारों को एक से बढ़कर एक विकल्प मिल सकें।

10 मास्टर बुनकरों के लिए आयोजित किया गया यह प्रशिक्षण कार्यक्रम इन बुनकरों के लिए अपनी तरह का दूसरा कार्यक्रम है, जिसे एक्ज़िम बैंक ने सहयोग दिया है। इस बार इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए बरती जाने वाली तमाम सावधानियों को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन आयोजित किया गया है।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के जरिए बुनकरों को बाजार की मांग को समझने और अपने उत्पादों की गुणवत्ता के प्रति सजग रहने में मदद मिलेगी। परिणामस्वरूप उनकी आय में वृद्धि के नए रास्ते भी बनेंगे। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के जरिए बुनकरों को आधुनिक तकनीकों, नए डिजाइनों में नवाचारी प्रयोग करने के अवसर मिलेंगे, जिससे उन्हें अपनी इस लुप्त होती कला को एक बड़े फलक पर लाने में मदद मिलेगी। उरमूल मरुस्थली बुनकर विकास समिति के मुख्य कार्यकारी श्री सुरजन राम जयपाल खुद एक बुनकर हैं और इस परंपरागत कला के संरक्षण के साथ-साथ इसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।

इस कार्यक्रम की मेंटोर और फैकल्टी डिजाइनर सुश्री ऋतु सूरी दिल्ली से हैं और उन्हें कला एवं शिल्प क्षेत्र में दस्तकारों तथा बुनकरों के साथ काम करने का 23 साल से अधिक का अनुभव है। वे राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली की डिजाइन ग्रैजुएट हैं। उन्होंने उरमूल, वसुंधरा ग्रामोत्थान समिति, उरमूल सीमांत और साधना जैसे ग्रासरूट स्तर के संगठनों के जीविकोपार्जन कार्यक्रमों के लिए काम किया है। सुश्री ऋतु रंगसूत्र जैसी अनूठी संस्था की शुरुआती सदस्यों में से एक हैं। ये ऐसी कंपनी है, जिसमें दस्तकार ही कंपनी के शेयरधारक हैं। दस्तकारों के साथ मिलकर काम करने और उरमूल बुनकर विकास समिति से लंबे समय से जुड़े रहने के उनके अनुभव के चलते उन्हें बुनकरों की ज़रूरतों और बाजार की मांग की अच्छी समझ है।
इस ऑनलाइन प्रशिक्षण का उद्देश्य प्रशिक्षार्थियों को नवीनतम ट्रेंड और डिजाइनों के अनुसार बाजार की मांग के अनुरूप अपने एथनिक गारमेंट बनाने में मदद करना है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से उरमूल से जुड़े समस्त बुनकरों को अपने कौशल विकास में मदद मिलेगी, जिससे उनका सामाजिक-आर्थिक विकास भी संभव हो सकेगा। इंडिया एक्ज़िम बैंक के प्रबंध निदेशक श्री डेविड रस्कीना ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए इन बुनकरों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए प्रयासरत उरमूल बुनकर विकास समिति के प्रयासों की सराहना की और कार्यक्रम की सफलता की कामना की।

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