Editor-Ravi Mudgal
जयपुर 05 नवंबर 2020 – एक्सिस बैंक, जो भारत का तीसरा सबसे बड़ा निजी बैंक है, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के उल्लेखनीय अकाउंट एग्रीगेटर (एए) फ्रेमवर्क पर वित्तीय सूचना प्रदाता (एफआईपी) के रूप में लाइव आ चुका है। अकाउंट एग्रीगेटर एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जहां विभिन्न विनियमित संस्थाओं से ग्राहकों की सहमति से उनसे जुड़े वित्तीय ब्यौरे साझा किये जा सकते हैं और उनका उपयोग किया जा सकता है।
अकाउंट एग्रीगेटर इकोसिस्टम, उपभोक्ताओं और वित्तीय संस्थाओं दोनों के लिए ही लाभदायक है:
- उपभोक्ता (व्यक्ति और एसएमई) सुरक्षित तरीके से और रियल-टाइम में (उनकी स्पष्ट सहमति के आधार पर) स्वयं से जुड़े ब्यौरे साझा कर सकते हैं, जबकि पुराने तरीके से उन्हें भौतिक रूप से जुटाना पड़ता था जिसमें अधिक समय लगता था।
- वो विभिन्न वित्तीय संस्थाओं में बिखरे पड़े ब्यौरों को इकट्ठा करके समेकित रूप से एक ही जगह अपनी वित्तीय स्थिति को देख सकते हैं, जिससे उन्हें इन ब्यौरों पर बेहतर नियंत्रण एवं सूझबूझ के साथ निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
- वित्तीय संस्थाएं, विभिन्न वित्तीय संस्थाओं से जुटाये गये ब्यौरों के आधार पर ग्राहकों को उपयुक्त डिजिटल उत्पाद एवं सेवाएं उपलब्ध करा सकेंगी।
- ब्यौरे पर लक्षित उपयोगकर्ता के नियंत्रण होने से ऑनबोर्डिंग एवं अंडराइटिंग अधिक तेज, सहज व सटीक भी हो सकेगा। कम टीएटी (टर्नअराउंड टाइम) और सटीक ब्यौरे के चलते वित्तीय संस्थाओं के लिए यह परिचालन एवं लागत की दृष्टि से किफायती होगा।
इस प्रगति के बारे में प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए, एक्सिस बैंक के ईवीपी और हेड डिजिटल बैंकिंग, समीर शेट्टी ने कहा, ”हमें अकाउंट एग्रीगेटर इकोसिस्टम में शीघ्र शामिल होने की बेहद खुशी है और हमारा दृढ़ विश्वास है कि इससे आने वाले वर्षों में बैंकिंग के स्वरूप में बदलाव आयेगा। लक्षित उपयोगकर्ता के हाथों में डेटा की सुलभता से हमारे जैसे वित्तीय संस्थाओं के लिए अनेक संभावनाओं के द्वार खुलेंगे, ताकि हम ग्राहकों के लिए नयी-नयी डिजिटल पेशकशें ला सकें। शासकीय परिषद के सदस्य के रूप में, एक्सिस बैंक ने इस इकोसिस्टम की शुरुआत से लेकर इसके विकास तक सहमति के साथ घनिष्ठतापूर्वक मिलकर काम किया है।”
अकाउंट एग्रीगेटर इकोसिस्टम के संगठन, डिजिसहमति फाउंडेशन के सह-संस्थापक, बीजी महेश ने बताया, ”अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क के लिए एक्सिस बैंक जैसे बड़े इंस्टीट्यूशन का सहयोग, भारत में ओपन बैंकिंग मूवमेंट के लिए बहुत बड़ा प्रोत्साहन है और देश की वित्तीय सेवाओं के विस्तार पर इनका व्यापक प्रभाव है।”