Editor-Manish Mathur
जयपुर 12 नवंबर 2020 – भारत की अग्रणी शैक्षिक और अनुसंधान संस्थाओं में से एक, जानी-मानी शिक्षा संस्था, मणिपाल ऐकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन ने आज अपने रोडमैप का खुलासा किया। यह पाठ्यक्रमों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशानिर्दशों के तालमेल में लाने से पहले किया गया है। संस्थान देश में और विदेश में नए कैम्पस स्थापित करने के बारे में विचार कर रहा है। संस्थान की उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने की कोशिश में मणिपाल ऐकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन के वाइस चांसलर, लेफ्टि. जनरल डॉक्टर वेंकटेश ने प्रो चांसलर डॉ. एच एस बल्लाल और रजिस्ट्रार डॉ. नारायण सभाहित ने एक वर्चुअल कांफ्रेंस में अपनी योजनाएं साझा कीं।
एमएएचई ने हाल में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के साथ एक करार पर दस्तखत किए हैं। इसके तहत संस्थान को औपचारिक रूप से इंस्टीट्यूटशन ऑफ एमिनेंस घोषित किया जाएगा। इसलिए, एमएएचई की योजना भविष्य में नए संस्थान, नए विभाग, नए कार्यक्रम आदि शामिल करने की है। नई एनईपी 2020 के तहत एमएएचई की योजना अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर नए कार्यक्रम शुरू करने की है। एमएएचई नए कैम्पस खोलने पर भी विचार करेगा जिससे रोजगार के मौके बढ़ाने में मदद मिलेगी। अनुसंधान, नवाचार, उद्यमिता और गठजोड़ एमएएचई के नए फोकस क्षेत्र होंगे।
इस बार संस्थान का दीक्षांत समारोह वर्चुअल मोड में 20, 21 और 22 नवंबर को होगा। करीब 3500 स्नातक अभी तक दीक्षांत समारोह के लिए पंजीकरण करा चुके हैं। मुख्य अतिथि हैं, पहले दिन, डॉ. सी राजकुमार, वाइस चांसलर, ओपी जिन्दल ग्लोबल यूनिवर्सिटी; दूसरे दिन, श्री सुरेश नारायणन, चेयरमैन और प्रबंध निदेशक, नेस्ले इंडिया लिमिटेड और तीसरे दिन, डॉ. कत्सुफ्रकिस, प्रेसिडेंट और सीईओ, नेशनल बोर्ड ऑफ मेडिकल एक्जामिनर्स, फिलाडेलफिया, अमेरिका। इस बार एमएएचई के दीक्षांत समारोह के लिए परंपरागत भारतीय परिधान होगा।
मणिपाल ऐकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन डॉ. एचएस बल्लाल ने कहा, डॉ. टीएमए पाई एक दूरदर्शी थे। वे एक में तीन थे – मेडिकल डायरेक्टर, बैंकर और शिक्षाविद। ऐकेडमी ऑफ जनरल एजुकेशन की स्थापना उन्होंने 1942 में की थी। यह 1860 के सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम XXI के तहत था ताकि किसी भी इच्छुक को तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा मुहैया कराई जा सके। शुरुआत उन्होंने एसएसएलसी – जैसे बढ़ई के काम, प्लंबर के काम, बिजली मिस्त्री, राज मिस्त्री जैसे काम में नाकाम रहने वाले छात्रों को कौशल मुहैया कराने से की। ऐकेडमी ने पेशेवर कॉलेजों की स्थापना की ताकि मेडिसिन में प्रशिक्षण दिया जा सके। 1953 में देश के पहले सेल्फ फाइनेंसिंग निजी मेडिकल कॉलेज की स्थापना की और यह अपने मित्रों समेत विपक्ष को शामिल करने के खिलाफ था। इसके साथ-साथ इंजीनियिरंग, दांतों के डॉक्टर की पढ़ाई, फॉर्मैसी, वास्तुकला, कानून, शिक्षा मैनेजमेंट के कॉलेज भी शुरू किए गए।
कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज हमारे विश्वविद्यालय का प्रमुख कॉलेज है। यह पहला सेल्फ फाइनेंसिंग कॉलेज है जिसे हमारे संस्थापक दिवंगत डॉ. टीएमए पई ने 1953 में शुरू किया था। हमारा मेडिकल कॉलेज देश में शुरू किया जाने वाले 29वां मेडिकल कॉलेज था। आज देश भऱ में हमारे 500 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज हैं और मैं यह कहते हुए बेहद खुश हूं और गर्व महसूस कर रहा हूं कि हम हमेशा देश के 10 शिखर के मेडिकल कॉलेजों में रहे हैं। और यह स्थिति लगातार दो दशकों से है।
विश्वविद्यालय स्थापित करने का डॉ. टीएमए पई का सपना उनके जीवनकाल में पूरा नहीं हुआ। उनके बेटे डॉ. रामदास एम पई ने मणिपाल को एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय और नगर बनाया। 1979 में उन्होंने काम संभाला था और मणिपाल ऐकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन (एमएएचई) की स्थापना 1993 में की थी। तभी भारत सरकार ने इसे 1956 के यूजीसी अधिनियम की धारा तीन के तहत डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया। डॉ. रामदास एम पई ने मणिपाल को एक अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटी का नगर बनाया और भारतीय उच्च शिक्षा को विदेश भी ले गए। “किसी भी कीमत पर ईमानदारी” के प्रति उनकी बेजोड़ निष्ठा वह आधार रहा है जिसपर आज का मणिपाल बना है।
अपने विचार साझा करते हुए मणिपाल ऐकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, के लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. वेंकटेश ने कहा, “शिक्षा की बदलती गतिशीलता खासकर कोविड के जमाने में, पर विचार करते हुए यह एमएएचई के लिए एक जोरदार मौका है कि वह एनईपी के दिशा निर्देशों के अनुसार पाठ्यक्रमों को तालमेल में लाने के लिए बड़ी छलांग लगाए और कौशल आधारित ज्यादा ज्ञान की दिशा में बढ़े। एमएएचई शिक्षा को हमेशा रोजगार और नवाचार से जोड़ने के मामले में अग्रणी रहा है। सच तो यह है कि हमलोगों ने अपनी शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए टेक्नालॉजी का उपयोग करने में अच्छी प्रगति की है। और आगे इस नए रास्ते के साथ हमें यकीन है कि यह छात्रों के लिए ज्यादा संभावनाएं शुरू करेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “संस्थानों के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक, एमएएचई के विश्व स्तर के शिक्षा शास्त्र और अनुसंधान के साथ प्रतिष्ठा वाले इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस का दर्जा मिलना, बेहद गर्व के क्षण हैं। एनईपी नीति की शुरुआत एक स्वागत योग्य कदम है और इसलिए एमएएचई चाहेगा कि पाठ्यक्रमों को दिए गए दिशानिर्देशों के तालमेल में रखा जाए ताकि इससे उच्च शिक्षा प्रणाली में ज्यादा समग्र, अभिनव और सकारात्मक परिवर्तन आए। दुनिया जब वैश्विक महामारी से जूझ रही तब यह समय है कि हम अपनी शिक्षा प्रणाली को ज्यादा लचीला, दक्ष बनाएं और नवीनता की एक संस्कृति को बढ़ावा दें। एनईपी सही अर्थों में अच्छी तरह तैयार की गई है, प्रगतिशील है और लचीली अंडरग्रेजुएट शिक्षा पर जोर देती है जो तकनीकी और व्यावसायिक विषयों का भी ख्याल रखती है। एमएएचई छात्रों को ज्यादा जुड़ी और समग्र शिक्षा की ओर सक्रिय करने के लिए प्रतिबद्ध है।”