Editor-Manish Mathur
जयपुर 10 दिसंबर 2020 -भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी) के लगभग 4,600 करोड़ रु. के आईपीओ की इस महीने के अंत तक बाजार में आने की संभावना है। यह रेलवे एनबीएफसी (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी) का पहला आईपीओ होगा।
आईआरएफसी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, अमिताभ बनर्जी ने यहां पीटीआई को बताया, ”इस महीने के तीसरे हफ्ते तक इसके (आईपीओ) आने की पूरी संभावना है, लेकिन यदि बाजार ठीक नहीं रहता है, तो हम इसे जनवरी के पहले या दूसरे हफ्ते तक भी बढ़ा सकते हैं।”
भारतीय रेलवे के समर्पित वित्तपोषण निकाय, आईआरएफसी का आईपीओ, एंकर निवेश के लिए भी उपलब्ध होगा। उन्होंने आगे बताया, ”सरकार, इस आईपीओ के लिए एंकर निवेशकों को भी लाने की योजना बना रही है।”
जनवरी 2020 में, आईआरएफसी ने अपने आईपीओ के लिए ड्राफ्ट पेपर्स दाखिल किये। बाजार से जुड़े स्रोतों के अनुसार, यह आईपीओ लगभग 4,600 करोड़ रु. का होगा।
एंकर हिस्सा लाने के कारणों को स्पष्ट करते हुए, सीएमडी, श्री बनर्जी ने बताया कि यह एक विश्वसनीय बाजार है और एंकर निवेशकों को इस बात के लिए आश्वस्त किया जायेगा कि वो रेगुलर बिडिंग के बिना निर्गमन में अपेक्षित हिस्सा प्राप्त कर सकेंगे।
उन्होंने कहा, ”बिना बोली लगाये ही, वो आईआरएफसी में इच्छित राशि का निवेश कर सकेंगे। साथ ही, इससे बाजार के ऐसे दूसरे निवेशकों में भी काफी विश्वास पैदा होगा, जो अवसर की ताक में हैं।”
ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस के अनुसार, यह इश्यू 178.20 करोड़ शेयर्स तक का है, जिसमें सरकार के 118.80 करोड़ शेयर्स का फ्रेश इश्यू और 59.40 करोड़ शेयर्स तक का ऑफर फॉर सेल शामिल है।
ऑफर के जरिए जुटायी जाने वाली राशि के उपयोग के बारे में, उन्होंने बताया कि आईपीओ से प्राप्त राशि का 10 प्रतिशत कंपनी की बैलेंसशीट में चला जायेगा और उससे इसका नेटवर्थ बढ़ेगा और कंपनी द्वारा बाजार से और अधिक पैसा जुटाने में इसका उपयोग किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि इससे बाजार को और अधिक तलाशने एवं बाजार से और अधिक धन जुटाने की कंपनी की क्षमता बढ़ेगी, जो कि अभी जरूरी है, क्योंकि सरकार को अपने बढ़ते पूंजीगत खर्च की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए पैसे की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ”इसलिए, 10 प्रतिशत हमारे बैलेंसशीट में आयेगा और 5 प्रतिशत, भारत सरकार के राजकोष में जायेगा।” श्री बनर्जी ने बताया कि इस आईपीओ के ”काफी आकर्षक” होने की बेहद संभावना है। इस खास इश्यू में हर किसी (घरेलू और विदेशी निवेशक) की अच्छी-खासी दिलचस्पी है।”
उन्होंने आगे कहा, ”भारतीय रेलवे वित्त निगम, निवेशकों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकानों मे से एक है।”
श्री बनर्जी ने आशा जतायी कि यह आईपीओ, वित्त वर्ष के सबसे महत्वपूर्ण निर्गमों मे से एक होगा।”
उन्होंने कहा, ”मुझे उम्मीद है कि यह इस वित्त वर्ष के महत्वपूर्ण निर्गमों में से एक होगा, जो कि इस वित्त वर्ष में भारत सरकार द्वारा लाये जाने वाले अन्य निर्गमों के लिए शुभ होगा।”
इश्यू के बुक रनिंग लीड मैनेजर्स, डीएएम कैपिटल एडवाइजर्स, एचएसबीसी सिक्योरिटीज एंड कैपिटल मार्केट्स, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और एसबीआई कैपिटल मार्केट्स हैं।
इस आईपीओ का एक उद्देश्य कंपनी के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक के निर्मित मूल्य को जानना है।
उन्होंने कहा, ”वर्ष 1986 में स्थापित, इस कंपनी के 34 वर्ष गुजर चुके हैं। इसलिए, इससे कंपनी की कीमत के बारे में पता चल सकेगा, इससे संगठन में बेहतर कॉर्पोरेट गवर्नेंस मानक लाये जा सकेंगे, जो कि किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के लिए अत्यावश्यक है।
इससे कंपनी की कार्यप्रणाली में अधिक पारदर्शिता आ सकेगी।”
कंपनी का प्रमुख व्यवसाय, वित्तीय बाजारों से पैसा उधार लेना और उस पैसे को परिसंपत्तियों के अधिग्रहण/निर्माण में लगाना है, जिन्हें फिर भारतीय रेलवे को पट्टे पर दे दिया जाता है।
केंद्रीय कैबिनेट ने अप्रैल 2017 में पांच रेलवे कंपनियों की लिस्टिंग के लिए मंजूरी दी। उनमें से चार – इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड, राइट्स लिमिटेड, रेल विकास निगम लिमिटेड और इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्प हैं, जो पहले ही सूचीबद्ध हो चुकी हैं।