Editor-Ravi Mudgal
जयपुर 18 दिसंबर 2020 –
- एडब्ल्यूएचसीएल, भारत की म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट (एमएसडब्ल्यू) मैनेजमेंट इंडस्ट्री की शीर्ष 5 कंपनियों में से एक है, जो संपूर्ण एमएसडब्ल्यू सेवाएं उपलब्ध कराती है। यह प्रमुख रूप से नगर निकायों को सेवाएं उपलब्ध कराती है, और लगभग पिछले दो दशकों में यह बड़े पैमाने के 25 से अधिक प्रोजेक्ट्स अपने हाथ में ले चुकी है, जिनमें से 18 अभी चल रहे हैं।
- कंपनी, एमएसडब्ल्यू प्रबंधन की संपूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराती है जिनमें संग्रह व स्थानांतरण (सीएंडटी), मेकेनाइज्ड स्वीपिंग, वेस्ट प्रोसेसिंग और वेस्ट-टू-एनर्जी शामिल हैं। प्रोजेक्ट्स के वर्तमान पोर्टफोलियो में 12 सीएंडटी प्रोजेक्ट्स, दो एमएसडब्ल्यू प्रोजेक्ट्स और चार मेकेनाइज्ड स्वीपिंग प्रोजेक्ट्स शामिल हैं।
- प्रोजेक्ट का पोर्टफोलियो शहरी और उपशहरी क्षेत्रों की अनेक नगरपालिकाओं में फैला है, इस प्रकार, काउंटर-पार्टी जोखिम कम हुआ है। प्रोजेक्ट्स की विभिन्न समयावधियां भी हैं और इस प्रकार, अलग-अलग समय में समाप्त हो जाता है, और सांतरित राजस्व प्रवाह पैदा करता है। इसके अलावा, 75 प्रतिशत से अधिक कंट्रैक्ट्स में कॉस्ट-एस्केलेशन क्लॉजेज हैं जो वित्ती जोखिम को कम करने के लिए इन-बिल्ट हैं।
- एमएसडब्ल्यू मैनेजमेंट में काफी ऊंची प्रवेश बाधाएं हैं। नये प्रवेशार्थियों को नगरपालिकाओं की निविदाओं में भाग लेने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि अधिकांश निविदाओं के लिए वेस्ट हैंडलिंग एवं अपशिष्ट प्रबंधन उद्योग में पूर्व अनुभवों के साथ-साथ मजबूत वित्तीय पृष्ठभूमि का मानदंड निर्धारित होता है।
- शहरीकरण, जीवनशैली का बदलता प्रतिरूप और खर्च-योग्य बढ़ती आय के चलते शहरी भारत में अपशिष्ट पदार्थ बढ़े हैं। एमएसडब्ल्यू जेनरेशन को 8.9 प्रतिशत सीएजीआर के साथ वित्त वर्ष’25 तक बढ़कर 115 मिलियन टन होने का अनुमान है। एमएसडब्ल्यू प्रबंधन बाजार को 14.4 प्रतिशत सीएजीआर के साथ वित्त वर्ष’25 तक 98 बिलियन रुपये हो जाने का अनुमान है।
- मौजूदा डंप यार्ड्स को सैनिटरी लैंडफिल्स में बदलने के लिए भारी अवसर मौजूद है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, पूरे भारत में 1,247 डांप यार्ड्स हैं जिनमें से केवल 2 को साइंटिफिक लैंडफिल्स में बदला जा चुका है, जो शिलांग व हैदराबाद में हैं।
- एंटनी वेस्ट हैंडलिंग सेल लिमिटेड, साइंटिफिक लैंडफिल्स के निर्माण एवं प्रबंधन की एक प्रमुख कंपनी है और इसे इन-हाउस दक्षता हासिल है। यह कांजुमार्ग लैंडफिल का परिचालन करता है, जो एशिया के सबसे बड़े सिंगल लोकेशन वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट्स में से एक है। इस साइट पर बायोरिएक्टर टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है और वर्तमान में, प्रति दिन लगभग 5,000 टन कचरे को प्रबंधित करता है। अगले कुछ वर्षों में, मुंबई से निकलने वाले 70 प्रतिशत अपशिष्ट पदार्थों की हैंडलिंग कांजुमार्ग साइट द्वारा किया जाता है।
- एडब्ल्यूएचसीएल, तर्कसंगत तरीके से चुने गये एमएसडब्ल्यू प्रोजेक्ट्स के लिए बोली लगाते रहने की इच्छा रखता है, ताकि यह अपनी भौगोलिक मौजूदगी बढ़ा सके। कंपनी, वर्तमान में आसपास के साइट्स पर स्थापित उपकरण एवं मानव-बल का प्रभावी तरीके से उपयोग करके क्षमता बढ़ाने हेतु भौगोलिक रूप से अपने प्रोजेक्ट्स को क्लस्टर करता है और इस प्रकार, स्वयं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाता है।
- कंपनी का लक्ष्य एमएसडब्ल्यू के वैल्यू चेन को ऊपर उठाना और अपशिष्ट प्रबंधन के उभरते क्षेत्रों जैसे वेस्ट-टू-एनर्जी और बायो-माइनिंग में अपने परिचालन को विविधीकृत करना भी है। कंपनी का यह भी मानना है कि इसके रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल (आरडीएफ) एवं कंपोस्ट के लिए तैयार बाजार उपलब्ध है जिनका उत्पादन अपशिष्ट प्रसंस्करण के उप-उत्पादों के रूप में इसके कांजुमार्ग साइट पर होता है।
- एब्डल्यूएचसीएल को पीसीएमसी द्वारा 1,000 टीपीडी तक की क्षमता वाले वेस्ट-टू-एनर्जी (डब्ल्यूटीई) प्लांट स्थापित करने व उसे चलाने का कंट्रैक्ट भी हासिल हुआ है। यह वित्तीय दृष्टि से मजबूत नगरपालिकाओं एवं निर्जी संगठनों के लाभपूर्ण डब्ल्यूटीई प्रोजेक्ट्स के लिए भी लगातार बोलियां लगाना जारी रखेगा।
- कंपनी ने वित्त वर्ष’18 से वित्त वर्ष’20 तक 27.73 प्रतिशत का राजस्व सीएजीआर दर्ज कराया है और 28.65 प्रतिशत का एबिटा सीएजीआर दर्ज कराया है, जो इसकी मार्जिन वृद्धि को दर्शाता है। कांजुमार्ग साइट पर परिचालन बढ़ने के चलते, खासकर वित्त वर्ष’20 में इसका प्रदर्शन शानदार रहा।
- ऑफर में फ्रेश इश्यू और प्राइवेट इक्विटी निवेशक का ऑफर फॉर सेल शामिल है। फ्रेश इश्यू से प्राप्त होने वाली धनराशि का उपयोग पीसीएमसी डब्ल्यूटीई प्रोजेक्ट के आंशिक वित्तपोषण (लगभग 40 करोड़), कर्ज (लगभग 38.5 करोड़) को घटाने और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों हेतु किया जायेगा।