Editor-Rashmi Sharma
जयपुर , 23 दिसंबर, 2020: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास राजस्थान सरकार से सहमति करार कर सड़क सुरक्षा का सुनियोजित ढांचा बनाने के लक्ष्य से डेटा-आधारित व्यवस्था कायम करने में राज्य सरकार की मदद करेगा।
इस सहमति करार पर हाल ही में राजस्थान सरकार के प्रतिनिध श्री रवि जैन, परिवहन आयुक्त और आईआईटी मद्रास के प्रतिनिधि संस्थान के प्रोफेसर रविंद्र गेटू, डीन (औद्योगिक परामर्श और प्रायोजित अनुसंधान) ने हस्ताक्षर किए।
करार का मुख्य उद्देश्य सड़क सुरक्षा के उपायों को बढ़ाना, सड़क पर दुर्घटनाग्रस्त लोगों की जान बचाने और राज्य में दुर्घटना के मामलों में कमी के बेहतर उपाय करने के लक्ष्य से सरकार में हर स्तर पर सक्षमता और कार्य क्षमता बढ़ाना है।
करार को अहम् बताते हुए राजस्थान सरकार के परिवहन मंत्री श्री प्रताप सिंह खचरियावास ने कहा, ‘‘हमारी सरकार हमेशा पूरे राज्य में सड़क सुरक्षा के बेहतर उपाय करने को दृढ़ संकल्प रही है ताकि कम-से-कम सड़क दुर्घटनाएं हों और इनसे मृत्यु के मामलों में कमी आए। इस संबंध में हम आईआईटी मद्रास के आरबीजी लैब्स से करार कर बहुत खुश हैं। इससे सड़क सुरक्षा का तमिलनाडु मॉडल लागू करने में मदद मिलेगी और हम राजस्थान सरकार के भागीदारों और आईआईटी मद्रास के बीच संपर्क-संवाद की सुविधा बढ़ाने के लिए तैयार हैं।”
इस करार के परिणामस्वरूप मुख्य लक्ष्यों में शामिल हैं:
राजस्थान की बुनियादी सड़क सुरक्षा टीम की क्षमता का विकास।
राजस्थान में सड़क सुरक्षा के लक्ष्यों को पूरा करने हेतु राज्य के सभी संबद्ध विभागों को रणनीति बनाने और लागू करने में मदद करना।
एसडीजी के लक्ष्यों को पूरा करने हेतु 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं में 50 प्रतिशत कमी और अंततः सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु के मामले शून्य करने का रोड मैप तैयार करना।
दुर्घटनाग्रस्तों के आघात उपचार के लिए आईआईटी मद्रास में विकसित संस्थागत पंजीकरण के साथ डेटा आधारित देखभाल की व्यवस्था करना।
करार के बारे में आईआईटी मद्रास के डीन (औद्योगिक परामर्श एवं प्रायोजित अनुसंधान) प्रो. रविंद्र गेटू ने बताया, “इस एमओयू से हमारे आपसी सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। आईआईटी मद्रास राजस्थान सरकार के विभिन्न भागीदरों की क्षमता का विकास करेगा और उन्हें एक सफल सड़क सुरक्षा कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने और लागू करने में मदद करेगा।’’
इस करार के तहत सड़क सुरक्षा से जुड़े राजस्थान सरकार के विभिन्न विभाग भागीदार होंगे जैसे लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), पुलिस, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवा विभाग सहित अन्य एजेंसियां।
इस पहल के समन्वयक प्रो. वेंकटेश बाला सुब्रमण्यन, फैकल्टी इन-चार्ज, रिहैबिलिटेशन बायोइंजीनियरिंग ग्रुप (आरजीबी) लैबरेटरी, इंजीनियरिंग डिजाइन विभाग, आईआईटी मद्रास ने इस करार के बारे में कहा, “सड़कें हम सभी की साझा संपत्ति हैं और उन पर लोगों की सुरक्षा भी सभी भागीदारों की सामूहिक जिम्मेदारी है। हालांकि इस जिम्मेदारी को लेकर स्पष्टता नहीं हो और जिम्मेदारी तय नहीं की जा सके तो इसमें कमी बनी रहेगी। इसलिए डेटा के आधार पर ठोस रणनीति का विकास करना सबसे अच्छा उपाय है। इसके लिए डिज़ाइन थिंकिंग चाहिए क्योंकि केवल समस्याओं को समझ कर निदान करना पर्याप्त नहीं होगा बल्कि ऐसे बदलाव करने होंगे जो स्थानीय परिस्थितियों में स्थायी हों।”
प्रो. वेंकटेश बालासुब्रमण्यन ने कहा, “यह व्यापक समझौता दोनों भागीदारों को लाभ देने का करारनामा है। आवश्यक ओरियंटेशन और प्रशिक्षण कार्यक्रमों से राजस्थान राज्य सरकार के भागीदारों की सक्षमता और कार्य क्षमता दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है। सड़क सुरक्षा को लेकर एमओआरटीएच, यानी, ‘इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस’ (आईआरएडी) के डेटा (मैग्नम ओपस) का उपयोग और लाभ लेने के दृष्टिकोण से भी इस करार की एक अनिवार्यता है।”
सड़क सुरक्षा पर आईआईटी मद्रास के आरबीजी लैब्स के कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट:
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन तमिलनाडु के साथ मिल कर विशिष्ट ट्रॉमा केयर प्रोग्राम का विकास – टीएईआई (तमिलनाडु रोड एक्सिडेंट एण्ड इमरजेंसी केयर इनीशिएटिव)। आरबीजी लैब्स की मदद से डिज़ाइन और लागू किए गए इस विशिष्ट ट्रॉमा केयर प्रोग्राम में ‘लीन मैन्युफैक्चरिंग’ के सिद्धांतों का उपयोग किया जाता है।
तमिलनाडु पुलिस के साथ मिल कर सड़क दुर्घटनाओं के डेटा संग्रह की बेहतर प्रक्रिया बनाई – आरएडीएमएस (सड़क दुर्घटना डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली)। इसके परिणाम स्वरूप टीएआरए (ट्रैफिक एक्सीडेंट रिपोर्टिंग ऐप) लागू कर दुर्घटना डेटा संग्रह का एकीकृत दृष्टिकोण बना।
एमओआरटीएच ने डेटा संग्रह के लिए यह एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया जिससे विभिन्न क्षेत्र विशेषज्ञों जैसे आईआरएडी (इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस) से डेप्थ डेटा भी एक साथ एकत्र किए जा सकते हैं। वर्तमान में आरबीजी लैब्स, आईआईटी मद्रास और एनआईसीएसआई राष्ट्र स्तर पर विकास और कार्यान्वयन की प्रक्रिया में हैं।
आईआईटी मद्रास के आरबीजी लैब्स के तकनीक हस्तांतरण के माध्यम से मेसर्स हरिता सीटिंग सिस्टम्स लिमिटेड ने 2017 में हरितइंटेलेसियान्न् लांच किया। यह आईओटी के आधार पर ड्राइवर की उपस्थिति, प्रदर्शन और व्यवहार की सर्वव्यापी निगरानी प्रणाली है और 2018 का ‘ऑटो-कम्पोनेंट’ पुरस्कार विजेता है।
इस पहल की सक्रियता पर बधाई देते हुए भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) के सचिव श्री गिरिधर अरामने ने कहा, “यात्री और माल परिवहन की सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण सड़क सुरक्षा है। इससे हमारी अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी। एमओआरटीएच आईआईटी मद्रास के आरबीजी लैब्स के सहयोग में सदैव तत्पर है जो पूरे भारत में सड़क सुरक्षा बेहतर करने के लिए डेटा-आधारित प्रणाली का लाभ देता है। इस पहल से राजस्थान में बड़े बदलाव को लेकर हम उत्साहित हैं। इससे जुड़े सभी भागीदारांे को शुभकामना देते हैं कि सभी के लिए सड़क सुरक्षा सुनिश्चित हो। ”
रिहैबलिटेशन बायोइंजीनियरिंग ग्रुप विभिन्न विषयों का समूह है जिसे मनुष्य कारक और परिवहन, नवाचार, चुस्त-दुरुस्त परिचालन (लीन ऑम्परेशंस), चिकित्सा उपकरण और प्रत्यारोपण में दक्षता प्राप्त है।
राजस्थान में सड़क सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले श्री रवि जैन, परिवहन आयुक्त ने इस पहल के बारे में बताया, “राजस्थान एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटाबेस को लागू करने वाले शुरुआती (पायलट) राज्यों में एक है। हम इससे उत्साहित हैं कि आरबीजी लैब्स द्वारा विकसित ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी फ्रेमवर्क का उपयोग कर राज्य के संबद्ध विभाग सड़क सुरक्षा के सुनियोजित दृष्टिकोण से काम करेंगे। इससे हमारे सड़क सुरक्षा प्रयासों को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी और राज्य में 2030 तक सड़क दुर्घटना में 50 प्रतिशत कमी करने के एसडीजी (सतत विकास के लक्ष्य) लक्ष्य प्राप्त करने में इसका बहुत लाभ मिलेगा