Editor-Rashmi Sharma
जयपुर 25 दिसंबर 2020 : माननीय आयुष मंत्री, श्री श्रीपद वाई नाईक ने कहा है कि कोविड महामारी के दौरान, योग – जो कि भारत द्वारा दुनिया को दिया गया एक उपहार है – ने लोगों को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रबंधित करने में मदद की है। उन्होंने कोविड-काल में द योगा इंस्टीट्यूट मुंबई द्वारा शुरू की गयी पहलों और व्यक्ति व समाज के प्रति 102 वर्षों से उनकी सतत समर्पित सेवा, दोनों के लिए ही द योगा इंस्टीट्यूट मुंबई की प्रशंसा की।
माननीय मंत्री श्री नाईक, द योगा इंस्टीट्यूट के 102 वर्ष पूरे होने पर आयोजित वर्चुअल मीट के मुख्य अतिथि थे, जहां उन्होंने द योगा इंस्टीट्यूट के मेडिटेशन एप्प, निस्पंद को भी सॉफ्ट-लॉन्च किया और द योगा इंस्टीट्यूट की कोविड से जुड़ी अनेक पहलों के लिए इनकी सराहना की।
माननीय मंत्री श्री नाईक ने कहा, ”102 वर्षों से दुनिया भर के लोगों की उत्कृष्ट सेवा में समर्पित द योगा इंस्टीट्यूट की पूरी टीम को मैं बधाई देता हूं। आपके समर्पण, ईमानदारी और सत्य-निष्ठा से योग की अनमोल भारतीय परंपराओं को संरक्षित रखने और दुनिया भर के लोगों के दैनिक जीवन में बदलाव लाने में मदद मिल रही है। आप विश्व-शांति हेतु अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं। योग, भारत द्वारा दुनिया को दिया गया उपहार है, और द योगा इंस्टीट्यूट ने इसे ध्यानपूर्वक लोगों तक पहुंचाने का सुंदर काम किया है।”
मंत्री श्री नाईक ने कहा, ”कोविड-19 के इस मुश्किल समय में, लोगों ने योग के वास्तविक मूल्य को जानना शुरू किया है। योग ने न केवल लोगों के शारीरिक स्वास्थ्य एवं प्रतिरक्षा को प्रबंधित करने में मदद की, बल्कि इसने उनका मानसिक एवं भावनात्मक कल्याण करने का भी काम किया।” मंत्री श्री नाईक ने द योगा इंस्टीट्यूट द्वारा कोविड-काल में शुरू की गयी पहलों की सराहना करते हुए कहा, ”अन्नम ब्रह्म अभियान के जरिए नि:शुल्क भोजन उपलब्ध कराने से लेकर फ्रंटलाइन वॉरियर्स की सहायता करने तक, द योगा इंस्टीट्यूट ने बढ़-चढ़कर अपने कर्तव्यों का निर्वाह किया और लोगों के जीवन को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करने हेतु हर संभव प्रयास किया।”
उन्होंने आने वाले समय में निस्पंद एप्प लॉन्च करने की भी घोषणा की, जिसे उन्होंने ”एक ऐसा एप्प बताया जिसका इंतज़ार पूरी दुनिया को है। मंत्री श्री नाईक ने कहा, ”यह एप्प ध्यानाभ्यास की कुंजी आपकी मुट्ठी में उपलब्ध करायेगा। निस्पंद दुनिया में ध्यानाभ्यास के तरीके में क्रांति लाने जा रहा है और यह 360-डिग्री स्वास्थ्य हासिल करने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ायेगा।”
डॉ. हंसा जे योगेन्द्र, निदेशक – द योगा इंस्टीट्यूट, ने कहा, ”मैं समाज, राष्ट्र एवं विश्व की सेवा में समर्पित द योगा इंस्टीट्यूट के 102 वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह में आज यहां पधारे माननीय मंत्री, श्रीमान श्रीपद वाई नाईक जी और हमारे अन्य सभी गणमान्य अतिथियों को धन्यवाद देती हूं।”
”इस वर्ष गृहस्थ योग की हमारी सेवा में, हमने कोविड महामारी से राहत एवं बचाव हेतु अनेक पहलें की। द योगा इंस्टीट्यूट, देश-दुनिया के अधिकाधिक लोगों तक गृहस्थ योग को ले जाने हेतु सदैव वचनबद्ध रहा है। जीवन में परिवर्तन लाने की 102 वर्षों की हमारी इस यात्रा को सफल बनाने का श्रेय हमारे संस्थापक, योग गुरू श्री योगेन्द्र जी, के मार्गदर्शन में तीन पीढियों के योगियों की सोच एवं प्रयासों, और उन हजारों लोगों को जाता है, जो पिछली शताब्दी से द योगा इंस्टीट्यूट परिवार का हिस्सा रहे हैं।
मां हंसा ने बताया, ”आज, हमारे 103वें वर्ष में प्रवेश के मौके पर, हमने निस्पंद मेडिटेशन एप्प लॉन्च किया है, और हम आने वाले सौ वर्षों तक एवं उससे आगे लाखों लोगों को गृहस्थ योग का अद्भुत लाभ प्रदान करने के योग गुरू योगेन्द्र जी के सपने को पूरा करने हेतु सतत संकल्पित हैं।”
मेडिटेशन एप्प, निस्पंद लॉन्च किया गया
माननीय मंत्री श्री श्रीपद वाई नाईक ने द योगा इंस्टीट्यूट के मेडिटेशन एप्प, निस्पंद के बारे में बताया, जो ध्यानाभ्यासियों व छात्रों के लिए अत्यंत ज्ञानप्रद व सहायक है. इसमें प्रत्येक स्थिति में ध्यानाभ्यास हेतु मार्गदर्शन प्रदान करने वाले वीडियोज की लाइब्रेरी है। यह एप्प एंड्रॉयड, आईओएस और इंटरनेट पर उपलब्ध होगा।
डॉक्टर्स ने स्वास्थ्य सेवा के बारे में चर्चा की
स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स के एक पैनल ने अगले दशक में भारत के लिए स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी चुनौतियां पर चर्चा की। डॉ. हरीश शेट्टी (मनोचिकित्सक), डॉ. शशांक जोशी (इंडोक्राइनोलॉजिस्ट, डायबेटोलॉजिस्ट), डॉ. रविन्द्र चित्तल (पीडियाट्रिशियन, नियोनेटोलॉजिस्ट), डॉ. प्रद्युम्न ममतोरा (ऑर्थोपेडिक सर्जन), और डॉ. शेखर अम्बरदेकर (कार्डियोलॉजिस्ट) इस पैनल में शामिल रहे। डॉ. मिक्की मेहता (दुनिया के प्रमुख संपूर्ण हेल्थ गुरू) ने इस विचार गोष्ठी की अध्यक्षता की।
द योगा इंस्टीट्यूट: उत्कृष्ट सेवा के 102 वर्ष
योग गुरू श्री योगेन्द्र जी द्वारा 25 दिसंबर, 1918 को सांताक्रुज, मुंबई में इसकी स्थापना के बाद से, इस अलाभकारी संगठन, द योगा इंस्टीट्यूट ने योग के जरिए गृहस्थों के संपूर्ण विकास में महत्वपूर्ण रूप से योगदान दिया है, और इसके प्रयासों की सफलता का श्रेय श्री योगन्द्र जी के मार्गदर्शन में तीन पीढि़यों के योगियों को जाता है, जिनमें मां सीता देवी, स्व. डॉ. जयदेव योगेन्द्र, डॉ. हंसाजी जे योगेन्द्र और ऋषि जयदेव योगेन्द्र शामिल हैं।
वर्ष 2018 में, इसे आयुष मंत्रालय की ओर से योग के प्रोत्साहन एवं विकास हेतु उल्लेखनीय योगदान के लिए प्राइम मिनिस्टर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया, आयुष मंत्रालय द्वारा प्रमाणित, भारत का पहला योगा स्कूल भी है।
द योगा इंस्टीट्यूट की ओर से 500 से अधिक प्रकाशन हो चुके हैं, और योग के बारे में श्री योगेन्द्र जी की पुस्तकें, दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े मिलेनियल टाइम कैप्सुल, क्रिप्ट ऑफ सिविलाइजेशन, ओग्लेथॉर्पे यूनिवर्सिटी, यूएसए में संरक्षित करके रखी गयी हैं, जिसे 8113 ई. में खोला जायेगा।
डॉ. हंसाजी जयदेव योगेन्द्र ऐसी पहली महिला योग गुरू हैं जिन्हें प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर भारत के माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मंच साझा करने हेतु आमंत्रित किया गया।
द योगा इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण और स्वास्थ्य संबंधी परामर्श हेतु हर रोज़ लगभग 2000 व्यक्ति आते हैं। बीते वर्षों में, द योगा इंस्टीट्यूट द्वारा 100,000 प्रशिक्षित योग शिक्षकों को प्रमाण-पत्र दिया जा चुका है जो 120 देशों में गृहस्थ योग के जरिए लाखों लोगों के जीवन को संपूर्ण रूप से स्वस्थ बनाने में सहायता कर रहे हैं।