Editor-Rashmi Sharma
जयपुर 17 जनवरी 2021 – पर्यटन मंत्रालय ने ‘देखो अपना देश’ वेबिनार श्रृंखला के एक हिस्से के रूप में 16 जनवरी, 2021 को “ट्रेन द्वारा बौद्ध सर्किट की यात्रा” शीर्षक से एक रोचक वेबिनार का आयोजन किया। इस वेबिनार के माध्यम से भारत की समृद्ध बौद्ध विरासत को बढ़ावा देने और इसका प्रदर्शन करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, इतना ही नहीं भगवान बुद्ध द्वारा देश भर में व्यक्तिगत रूप से भ्रमण किए गए स्थलों के अलावा उनके शिष्यों द्वारा बनाये गये बौद्ध मठों को दर्शाया गया है, जिसमें आधुनिक मठ भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, वेबिनार में भारत के बौद्ध स्थलों की यात्रा (विशेष रूप से ट्रेन द्वारा) और ठहरने की व्यवस्था के लिए दर्शकों को प्राथमिक जानकारी प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
वेबिनार की शुरुआत पर्यटन मंत्रालय के उप महानिदेशक श्री अरुण श्रीवास्तव के संबोधन से हुई। उन्होंने कहा कि, भारत के बौद्ध पर्यटन में दुनिया भर के 50 करोड़ बौद्धों को “भारत-बुद्ध की भूमि” की तरफ आकर्षित करने की जबरदस्त क्षमता है। उन्होंने कहा कि, भारत में भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण स्थलों के साथ एक समृद्ध प्राचीन बौद्ध धरोहर है और दुनिया भर से आने वाले बौद्ध धर्म के अनुयायियों के मन में भारतीय बौद्ध विरासत के प्रति बहुत गहरी रुचि है। श्री अरुण श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि, बौद्ध धर्म एक महत्वपूर्ण शक्ति, एक प्रेरणा और सबसे बढ़कर, हमारी परंपराओं एवं रीति-रिवाजों का एक मार्गदर्शन है। संक्षेप में, संस्कृति के विभिन्न क्षेत्रों में इसके अद्वितीय योगदान ने भूमि की धार्मिक विविधता को जोड़ने के अलावा, भारतीय सांस्कृतिक विरासत को बहुत अधिक समृद्ध किया है।
भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) के संयुक्त महाप्रबंधक (पर्यटन और विपणन) डॉ अच्युत सिंह द्वारा यह वेबिनार प्रस्तुत किया गया था। डॉ अच्युत सिंह ने भगवान बुद्ध के जीवन और उनकी शिक्षाओं के बारे में जानकारी प्रदान करने के साथ इस कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि, आईआरसीटीसी बुद्धिस्ट सर्किट टूरिस्ट ट्रेन की कल्पना बौद्ध धर्म के सबसे सम्मानित स्थलों की यात्रा करने के लिए की गई थी, जिनमें से वह स्थान भी शामिल है, जहां पर भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। यह पर्यटक ट्रेन उन सभी स्थानों को कवर करती है, जिनका भगवान बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।
श्री सिंह ने कहा कि, यद्यपि लुम्बिनी भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है, फिर भी आईआरसीटीसी बौद्ध सर्किट टूरिस्ट ट्रेन यात्रा कार्यक्रम के दौरान सभी मेहमानों को भगवान बुद्ध की माता को समर्पित मायादेवी मंदिर के अलावा अन्य पवित्र स्थलों के दर्शन प्राप्त करने तथा प्रार्थना करने का अवसर प्राप्त होता है। बोधगया में महाबोधि वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को अनंत काल के लिए प्राप्त ज्ञान स्थल इस यात्रा कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, दुनिया भर से बौद्ध परंपराओं के अपने संगम के स्मारकीय सौंदर्य के चलते इसका विशेष धार्मिक और विद्वतापूर्ण महत्व है।
बौद्ध सर्किट टूरिस्ट ट्रेन यात्रा कार्यक्रम को तैयार करने में, बुद्ध के मूल उपदेश स्थल को शामिल करने के लिए विशेष ध्यान रखा गया है, जहां से बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई, वह स्थान जहां से इसके सभी विविध रूपों, संप्रदायों और श्रेष्ठता को फैलाया गया। यह संवर्धित स्थल जिसे सारनाथ के नाम से जाना जाता है, भारतीय संस्कृति की सबसे प्राचीन जगहों में से एक है और वाराणसी के समीप है। यहीं पर मेहमानों को गंगा आरती से मंत्रमुग्ध होने का अवसर भी मिलता है, जिसका आयोजन हर शाम को पवित्र गंगा तट पर किया जाता है।
भौतिक जगत के बंधनों में उनके जन्म से लेकर उनके अंतिम समय तक भगवान बुद्ध के जीवन वृतांत को देखते हुए, बौद्ध सर्किट टूरिस्ट ट्रेन की व्यापक यात्रा कार्यक्रम में कुशीनगर का महापरिनिर्वाण मंदिर भी शामिल है, जो बुद्ध की दिव्य आत्मा के यात्रा विश्राम की अंतिम सांसारिक स्थिति को दर्शाता है। बौद्ध धर्म में गहरी अंतर्दृष्टि प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले इच्छुक व्यक्ति, बुद्ध द्वारा दिए गए धर्मोपदेशों पर चिंतन करते हुए इसकी गूढ़ता में तल्लीन हो सकते हैं; विशेष रूप से, जेतावाना मठ में।
अंत में, इस यात्रा को पूरा करने के लिए राजसी और भव्य ताजमहल तैयार है, जो अतिथियों और पर्यटकों को आत्म-अनुशासन तथा सकारात्मक चिंतन के लिए प्रेरित करेगा। समरसता वाली शांति, जो इस स्मारक को प्रेम प्रदान करती है, यहां तक कि सबसे चिड़चिड़े यात्रियों को भी शांति प्रदान करती है और सभी के शरीर एवं आत्मा को शांत करती है।